Breaking News
नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री पद की ली शपथ 
आरजी कर मेडिकल कॉलेज केस – सुरक्षा की मांग को लेकर जूनियर डॉक्टरों का आमरण अनशन जारी
एनसीआर में एक्यूआई 250 पार, वायु प्रदूषण बढ़ने के साथ ही ‘ग्रैप’ का पहला चरण हुआ लागू
नायब सिंह सैनी होंगे हरियाणा के नए सीएम, कल लेंगे शपथ
कांग्रेस ने ‘दिल्ली जोड़ो यात्रा’ को किया स्थगित, अब दिवाली के बाद होगी शुरू
सिर्फ मूड ही नहीं सुधारती आइसक्रीम, शरीर और दिमाग पर डालती है खास असर
यूपीसीएल के अस्सी प्रतिशत से अधिक उपभोक्ता कर रहे डिजिटल भुगतान
सीएम धामी को उत्तराखण्ड महोत्सव के लिए किया आमंत्रित
कांग्रेस कमाल की पार्टी, रोने बिसूरने में लगी

मुख्यमंत्री ने एसडी विद्या मंदिर में 31 परियोजनाओं का किया उद्घाटन और शिलान्यास 

पानीपत।  हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी आज पानीपत दौरे पर हैं। इस दौरान सीएम ने एसडी विद्या मंदिर में 31 परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। वहीं, जम्मू कश्मीर में 11 महीने पहले आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद पानीपत के गांव बिझोल निवासी मेजर आशीष धोंचक की मां ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से मिलकर न्याय की गुहार लगाई है।

उन्होंने बहू ज्योति पर सारे लाभ लेकर घर छोड़ जाने के आरोप लगाए हैं। उन्होंने ज्योति के सरकारी नौकरी के प्रस्ताव को भी खारिज करने की मांग की है। उनकी जगह तीनों में से किसी एक बेटी को नौकरी लगने की मांग की है। प्रदेश के पंचायत राज्यमंत्री महिपाल ढांडा ने भी मंच से मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के सामने यह मांग रखी है। इस मामले के सामने आने के बाद एक बार फिर शहीदों के माता-पिता का दर्द झलक कर सामने आया।

आशीष धोंचक की मां कमला देवी ने बताया कि उसने अपने 25 साल के बेटे को पालकर देश को सेवा के लिए दे दिया था। वह देश की रक्षा के लिए आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद हो गया। अगर उसके पास दूसरा बेटा भी होता तो वह उसको भी सेवा में भेज देती। उसने शहीद आशीष की पत्नी ज्योति को अपने बेटे की तरह रखा, लेकिन ज्योति आशीष की 13वीं के कुछ दिन बाद ही अपने घर चली गई। उसने धीरे-धीरे उनसे मुंह मोड़ना शुरू कर दिया। वह अब अपने मायके जींद में रहती है। वह अपनी पोती से शुरुआत में फोन पर बात कर लेती थी, लेकिन उसके बाद उसको फोन पर बात करने तक से रोक दिया गया।

विमला देवी ने कहा कि ज्योति उसके टीडीआई स्थित मकान के एक फ्लोर पर ताला लगाकर चाबी अपने साथ ले गई है। उसने मायका पक्ष के कहने पर उसको अलग से एक फ्लोर भी दिया था।वह नीचे अपने एक फ्लोर पर अपने पति लालचंद के साथ रहती है। बेटे के शहीद होने और बहू के जाने के बाद वे दोनों टूट गए हैं। अब न्याय और दो वक्त की रोटी के लिए जगह-जगह चक्कर काट रहे हैं। उनको अब तक न्याय नहीं मिल पाया है ।

सेना के व्यवहार से भी है खफा 
शहीद मेजर आशीष की मां कमला देवी सेना के अधिकारियों की अनदेखी से भी खफा है। उन्होंने आरोप लगाया कि वह मेडिकल सुविधा और कैंटीन कार्ड समेत अन्य लाभ लेने के लिए सेन के अधिकारियों से मिली। उन्होंने पूरे मामले को लेकर बात की,  लेकिन अधिकारियों ने उसकी कोई सुनवाई नहीं की। सरकार के नियमानुसार उसको शाहिद को मिलने वाली कुल राशि में से 30% राशि मिली है।

गांव में अब तक नहीं बन पाया स्मारक 
शहीद की मां ने आरोप लगाया कि सरकार ने उसके बेटे के नाम गांव में एक स्मारक बनाने की घोषणा की थी। इसके अलावा टीडीआई में एक पार्क का नामकरण भी उसी के नाम से करने की कही थी। इनमें से अब तक कोई भी काम नहीं हुआ है। उसके बेटे की अस्थि आज भी स्मारक बनने का इंतजार कर रही हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top