नई दिल्ली। लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने कहा कि केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) संसदीय चुनावों में मिली ‘‘नैतिक हार’’ को बर्दाश्त नहीं कर पा रही है, इसलिए वह ‘‘सांप्रदायिक राजनीति के अपने पुराने रुख’’ का सहारा ले रही है. कांग्रेस नेता ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा के दौरान भोजनालयों के मालिकों को अपना नाम प्रदर्शित करने का आदेश और असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा की ओर से जनसंख्या के आंकड़ों को लेकर एक विशिष्ट समुदाय को निशाना बनाए जाने जैसी बातों से यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है.
लोकसभा चुनाव में मिली नैतिक हार बर्दाश्त नहीं
गोगोई ने यहां कहा, ‘‘भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव में मिली नैतिक हार को बर्दाश्त नहीं कर पा रही है, इसलिए वह हर राज्य में सांप्रदायिक राजनीति के अपने पुराने रुख पर लौट रही है.’’ उन्होंने अपनी बात के पक्ष में उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा के मार्ग पर स्थित भोजनालयों के मालिकों से उनके नाम प्रदर्शित करने के लिए कहने संबंधी आदेश और असम में ‘एक विशेष समुदाय की आबादी को लेकर राजनीति करने’ जैसे उदाहरणों का हवाला दिया.
जाति, धर्म का पता नाम से लगाया जा सकता है
गोगोई ने उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘वे (भाजपा) किस तरह का समाज बनाने की कोशिश कर रहे हैं? क्या हम मालिक के नाम के आधार पर तय करेंगे कि हमें किस दुकान में जाना है?’’ कांग्रेस सांसद ने कहा कि भारत में किसी व्यक्ति की जाति, धर्म और नस्ल का पता उसके नाम से लगाया जा सकता है. उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा एक ऐसा समाज बनाना चाहती है, जहां मालिक की जाति, धर्म, नस्ल यह तय करेगा कि कौन वहां जाएगा और कौन नहीं. क्या ऐसे समाज में शांति और सद्भाव होगा?’’