पैृतक गांव में सैन्य सम्मान के साथ किया अंतिम संस्कार
हरियाणा। विमान हादसे में 56 साल पहले जान गंवाने वाले भारतीय सेना के सिपाही गुर्जर माजरी गांव के मुंशीराम को आखिरकार मुक्ति मिल गई। वीरवार को सैन्य सम्मान के साथ गांव में उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार हुआ तो हर किसी की आंखें नम हो गईं। इस माैके पर भारतीय सेना, जिला सैनिक बोर्ड और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ-साथ काफी संख्या में ग्रामवासियों ने उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
भाई कैलाशचंद ने बताया जब विमान हादसा हुआ तब मुंशीराम की उम्र महज 22 वर्ष थी। आज अगर वह जीवित होता तो करीब 78 साल का होता। मुंशीराम की पत्नी पार्वती देवी आज भी उसकी यादों के सहारे जी रही है। उनके कोई वारिश नहीं है। अब तो पिता भज्जूराम और माता रामप्यारी भी गुजर चुके हैं। कैलाशचंद बताते हैं ऐसा कोई दिन नहीं रहा जब भाई को याद न किया हो, हमेशा दिल में यही टीस रहती थी कि उसके अंतिम दर्शन नहीं हो सके। अब भाई का शव मिला तो ऐसा लगा मानो वह भी मुक्ति के लिए 56 साल तक इंतजार कर रहा था। कैलाशचंद ने बताया मुंशीराम के अलावा परिवार में चार बहनें थीं, जिनमें से एक बहन की भी मौत हो चुकी है।
परिवार सेना का शुक्रगुजार, पार्थिव शरीर ढूढ़ निकाला
कैलाशचंद ने बताया जब हादसा हुआ था उस वक्त हमें सूचना मिली थी कि कोई भी पैसेंजर नहीं बचा है। काफी दुख हुआ। तीन दिन पहले मुंशीराम के पार्थिव शरीर के मिलने की सूचना मिली थी। मेरे पास सिकंदराबाद हेड ऑफिस की तरफ से फोन आया था। जैसे ही फोन आया मैं एकदम से हैरान हो गया। क्योंकि यह पल चकित करने वाला था। हमारा परिवार शुक्रगुजार है कि इतने दिनों के बाद मुंशीराम का पार्थिव शरीर सैना ने ढूढ़ निकाला।
फरवरी 1968 में हुआ था विमान हादसा
सात फरवरी, 1968 को चंडीगढ़ से 102 यात्रियों को ले जा रहा भारतीय वायु सेना का एएन-12 विमान खराब मौसम के कारण रोहतांग दर्रे के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। 56 साल पहले हुए हादसे में बीते दिनों चार सैनिकों के शव बरामद हुए हैं। इनमें बावल के गुर्जरी माजरी गांव के मुंशीराम का शव भी शामिल है।