हरियाणा। हरियाणा में वायु प्रदूषण के लिए हाहाकार मचा है। अधिकतर जिलों में एक्यूआई के आंकड़े रेड और ओरेंज अलर्ट की स्थिति दर्शा रहे हैं। यह हाल एक्यूआई के औसत आंकड़ों से जाहिर हो रहा है। जबकि प्रदेश में अंबाला एकमात्र जिला ऐसा बचा है जो यलो अलर्ट पर है। इसका मतलब है कि वायु प्रदूषण के लिए तैयार रहे।
यह स्थिति पिछले कुछ दिनों से बनी हुई है। बीते वर्षों में पंचकूला की हवा अक्सर सबसे साफ रहती है, मगर इस बार पंचकूला की हवा भी प्रदूषित नजर आ रही है। यहां मंगलवार को एक्यूआई 219 दर्ज किया गया है। हालांकि अगर अंबाला में सर्वाधिक एक्यूआई पर नजर डाली जाए तो वह सोमवार काे 322 दर्ज किया गया है। जिसमें पीएम 2.5 बढ़ा हुआ दिखाई देता है।
दोपहर को हो रहा सर्वाधिक एक्यूूआई
अंबाला, करनाल, कुरुक्षेत्र और पानीपत जिलों में सर्वाधिक एक्यूआई कुरुक्षेत्र का 338 तक पहुंचा है। जबकि अन्य तीन जिलों में 300 से अधिक एक्यूआई है। इसके साथ ही औसत एक्यूआई इससे कुछ कम है। खासकर दोपहर के समय में हवा सबसे अधिक प्रदूषित है। जिस समय वाहनों की आवाजाही काफी बढ़ जाती है। इतने प्रदूषण में एक बार को तो यह जिले वायु प्रदूषण के रेड अलर्ट पर आ जाते हैं।
वायु प्रदूषण का ऐसे समय बढ़ना जब पराली जलने के मामलों में तेजी से कमी आई है उस समय हैरान करता है। इस वायु प्रदूषण में पीएम 2.5 व पीएम 10 के छोटे कण अधिक हैं। जिन्हें सामान्य आंखों से नहीं देखा जा सकता है। यह कण सांस के जरिए शरीर में पहुंचकर काफी नुकसान पहुंचाते हैं।
निर्माण और आग पर नहीं हो रहा नियंत्रण
जहां एनसीआर क्षेत्र में आने वाले जिलों में कई पाबंदियां लगाकर सख्ती की गई है तो जीटी रोड बेल्ट के क्षेत्र इससे अछूते हैं। यहां पर किसी भी प्रकार की वायु प्रदूषण को लेकर पाबंदी नहीं है। इसी कारण वाहन, उद्योग या अन्य प्रकार के स्रोतों से आने वाला धुआं वातावरण में मिलकर प्रदूषण के स्तर को बढ़ा रहा है। यहां पर निर्माण और कचरे में आग लगाने के मामलों में भी कमी नहीं देखी जा रही है।
वातावरण में नमी निभा रही अहम रोल
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों की मानें तो वातावरण इस समय ठंडा है। वातावरण में नमी होने के कारण वायु में मौजूद प्रदूषण के तत्व ऊपर नहीं उठ पा रहे हैं। जिससे कई बार वायु प्रदूषण अधिक दिखाई देता है। हवा व मौसम में बदलाव से यह स्थिति ठीक होने का अनुमान है। अंबाला में एक नवंबर को 367 एक्यूआई दर्ज किया था। इसके बाद 4 नवंबर 13 नवंबर व 16 नवंबर को एक्यूआई ओरेंज अलर्ट पर था। इसके अलावा औसत एक्यूआई यलो ही रहा है।
जिला- सर्वाधिक एक्यूआई- औसत एक्यूआई
अंबाला- 322- 185
करनाल- 353- 252
कुरुक्षेत्र- 338- 253
पानीपत- 319- 303
एनसीआर की हवा खतरनाक स्तर पर पहुंची
पानीपत जिला प्रशासन ने पानीपत में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) के चौथे चरण में पहुंचने पर इसकी पाबंदियां प्रभावी कर दी हैं। इसके साथ वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए आम नागरिक सिटीजन चार्टर लागू किया है। इसमें स्वास्थ्य सुरक्षा के दृष्टिगत जरूरी सावधानी बरतनी आवश्यक बताई है। इसके साथ प्रशासन ने वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में आमजन से सहयोग की अपील की है।
उपायुक्त डॉ. वीरेंद्र कुमार दहिया ने बताया कि नागरिक वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर तक होने के कारण जरूरी कार्य होने पर ही घर से बाहर आवागमन करें। अस्थमा के रोगी दवा को अपनी पहुंच में रखें। यदि कफ, सांस फूलने व बेहोशी जैसी समस्या आती है तो चिकित्सकों के परामर्श अनुरूप दवा लें। स्वस्थ लोगों को अचानक बेहोशी जैसी समस्या आती है तो अलर्ट रहें और मास्क लगाकर ही बाहर निकलें।
उपायुक्त ने बताया कि एनसीआर की हवा इस समय खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है। हवा के बिगड़े कारण की वजह से एक्यूआई का स्तर 400 को पार कर गया है, जो कि वन्य जीवों के लिए बहुत ही खतरनाक है। प्रशासन की ओर से जिला की राजस्व सीमा में ग्रेप वन से लेकर ग्रैप चार की वर्णित पाबंदियां प्रभावी हैं। नागरिकों को आह्वान है कि ऐसा कोई कार्य न करें जिससे वायुमंडल में धूल व धुआं पंहुचे।
वायु प्रदूषण फैलाने का कार्य कोई करता है, उसकी शिकायत 311 एप व समीर एप कर सकते हैं। उपायुक्त ने कहा कि नागरिक सार्वजनिक परिवहन प्रणाली का उपयोग करें। वाहनों के टायरों में हवा पूरी रखें। वाहनों का प्रदूषण अंडर कंट्रोल चेक करवाते रहें। पुराने डीजल वाहनों को न चलाएं। कूड़ा कर्कट में आग न लगाएं। किसी भी प्रकार का भवन निर्माण कार्य न करें। उन्होंने बताया कि जरूरी सामान ले जाने वाले और जरूरी सेवाओं वाले ट्रकों को राहत दी गई है। साथ ही, बीएस-6 डीजल और सीएनजी व एलएनजी चलित ट्रक चल सकते हैं।