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बीएसएफ के जवान शहीद अनिल कुमार का उनके पैतृक गांव कंवारी में सैन्य सम्मान के साथ किया गया अंतिम संस्कार 

बीएसएफ के जवान शहीद अनिल कुमार का उनके पैतृक गांव कंवारी में सैन्य सम्मान के साथ किया गया अंतिम संस्कार 

हिसार। जोधपुर में तैनात बीएसएफ के जवान शहीद अनिल कुमार का उनके पैतृक गांव कंवारी में सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। जोधपुर से बीएसएफ की ओर से आए सुभाष चंद्र ने बताया कि अनिल कुमार ड्यूटी करने के बाद बाइक से अपने कमरे पर जा रहे थे कि अज्ञात वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी। इसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उन्होंने दम तोड़ दिया।

शहीद अनिल के भाई देवेंद्र ने बताया कि उनके भाई उनके लिए भगवान के बराबर थे। अनिल की माता कृष्णा देवी बार-बार अपने बेटे को पुकार रही थी। ऐसा ही हाल अनिल की पत्नी कविता देवी का था। शहीद की अंतिम यात्रा में जोधपुर से आई बीएसएफ के जवान और हिसार बीएसएफ कैंप से पहुंचे अधिकारी व जवानों के साथ-साथ हजारों की संख्या में ग्रामीण शामिल हुए। इसके बाद सैन्य सम्मान के साथ गार्ड ऑफ ऑनर देकर अंतिम संस्कार किया गया। बीएसएफ की तरफ से पहुंचे अधिकारियों ने श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद तिरंगे झंडे को सम्मान के साथ अनिल कुमार के स्वजनों में उनके बेटे अचल को सौंपा और सलामी दी।

कबड्डी के दम पर ही बीएसएफ में हुआ था चयन
वर्ष 2001 में बीएसएफ में स्पोर्ट्स कोटे से ट्रायल देकर भर्ती हुए अनिल कुमार गांव के पहले ऐसे खिलाड़ी थे जिन्होंने खेल कोटे से सेना में जाने का अवसर मिला। बीएसएफ की तरफ से खेलते हुए उन्होंने अपनी प्रतिभा का बेहतरीन प्रदर्शन किया। 7 साल तक कोचिंग भी की। नेशनल कबड्डी में कई बार बेस्ट रैडर का अवाॅर्ड भी मिला। वर्ष 1998 और 1999 में दो बार हरियाणा की टीम से नेशनल खेलते हुए अपनी टीम को बेहतरीन जीत दिलाई थी। इसी दौरान वह बेस्ट रैडर चुने गए थे। अनिल कुमार अक्सर कहते थे कि रिटायरमेंट के बाद वह नए खिलाड़ियों की पौध तैयार करेंगे और देश को बेस्ट प्लेयर देने का काम करेंगे।

बेटा अचल पिता की तरह बनना चाहता है बेहतर खिलाड़ी
अनिल कुमार के इकलौते बेटे अचल ने बताया कि वह अपने पिता की तरह कबड्डी में बेहतरीन खिलाड़ी बनना चाहता है और आर्मी में भर्ती होकर देश सेवा करना चाहते हैं। अचल फिलहाल दसवीं कक्षा में पढ़ रहे हैं। अचल ने बताया कि उसकी फोन पर पिता से अक्सर बात होती थी, लेकिन फेस टू फेस वह पिता से मार्च में मिला था। अभी 15 जून को ही वह परिवार के साथ जोधपुर में पापा के पास घूमने के लिए जाने का मन बना रहा था। वह अपने मामा के घर गया हुआ था कि इसी दौरान यह हादसा हो गया जिसको वह कभी भूल नहीं सकता।

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