Breaking News
चुनाव में पारदर्शिता के लिए आयोग सख्त, व्यय विवरण न देने वालों पर होगी कार्रवाई
चुनाव में पारदर्शिता के लिए आयोग सख्त, व्यय विवरण न देने वालों पर होगी कार्रवाई
क्या आप भी करते हैं गर्मियों में अधिक आम का सेवन, अगर हां, तो जान लीजिये इसके नुकसान  
क्या आप भी करते हैं गर्मियों में अधिक आम का सेवन, अगर हां, तो जान लीजिये इसके नुकसान  
भारत का रक्षा निर्यात नई ऊंचाइयों पर, आत्मनिर्भरता बनी सफलता की कुंजी- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
भारत का रक्षा निर्यात नई ऊंचाइयों पर, आत्मनिर्भरता बनी सफलता की कुंजी- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
एक लाख की रिश्वत के साथ आईएसबीटी चौकी प्रभारी गिरफ्तार
एक लाख की रिश्वत के साथ आईएसबीटी चौकी प्रभारी गिरफ्तार
आईटीडीए को मजबूत करने के निर्देश, भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर सिस्टम अपग्रेड का आह्वान
आईटीडीए को मजबूत करने के निर्देश, भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर सिस्टम अपग्रेड का आह्वान
कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों के साथ की बैठक 
कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों के साथ की बैठक 
दुश्मनों के ठिकानों को तबाह करने में नाविक सैटेलाइट की भूमिका महत्वपूर्ण- महाराज
दुश्मनों के ठिकानों को तबाह करने में नाविक सैटेलाइट की भूमिका महत्वपूर्ण- महाराज
मुख्यमंत्री धामी ने 350 करोड़ की विधायक निधि को दी मंजूरी
मुख्यमंत्री धामी ने 350 करोड़ की विधायक निधि को दी मंजूरी
मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में “तिरंगा शौर्य सम्मान यात्रा” का किया गया भव्य आयोजन
मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में “तिरंगा शौर्य सम्मान यात्रा” का किया गया भव्य आयोजन

सीएम ममता का हास्यास्पद तर्क

सीएम ममता का हास्यास्पद तर्क

पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) टीम पर हमले और फिर एफआईआर, चोरी और सीनाजोरी का मामला है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी सरकार की नजर में कोई भी केंद्रीय जांच एजेंसी; एनआईए, ईडी या सीबीआई हो, वे सब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की निजी एजेंसियां हैं। इनका इस्तेमाल वे सूबे की सत्ता हासिल करने में करते हैं। लिहाजा, तृणमूल कांग्रेस (तृमूकां) ने निर्वाचन आयोग से मिलकर अनुरोध किया है कि वह भाजपा का चुनावी हित साधने में जांच एजेंसियों के दुरु पयोग रोके। तृमूकां का वहां अपनी बात रखने और उस पर उचित कार्रवाई की आशा का पूरा अधिकार है। पर अंधाधुंध विरोध में ममता इस बात को भूल जाती हैं कि वे केवल तृमूकां की अभियानी नेता भर नहीं हैं।

वे मुख्यमंत्री जैसे एक संवैधानिक पद पर हैं, जिसका काम प्रदेश के साथ राष्ट्रीय एकता, सम्प्रभुता और अखंडता की रक्षा का भी है। यह तभी हो सकता है कि जब राज्य एवं संघ के कर्त्तव्यों का पालन किया जाए। पहले ईडी और अब एनआईए मामले में ऐसा नहीं हुआ है। एनआईए की टीम 2022 के एक आतंकवादी मामले में दो आरोपितों को गिरफ्तार करने पहुंची थी, उस पर उनके समर्थकों, जिन्हें कांग्रेस नेता अधीर रंजन ‘दीदी के गुंडे’ कहते हैं, ने हमला कर दिया। मुख्यमंत्री एनआई टीम की कार्रवाई का सपोर्ट करने, उसे पुलिस सुरक्षा देने और हमलावरों की गिरफ्तारी का निर्देश देने के बजाय हास्यास्पद  तर्क दे रही हैं।

ममता मुख्यमंत्री हैं, उनके अधीन पुलिस समेत राज्य की कई जांच एजेंसियां हैं, जिनकी रात की रेड एक रूटीन-वर्क है। इसी बिना पर एनआईए की रेड का विरोध गैरजिम्मेदाराना है। ममता यह भी जानती हैं कि आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए गई कोई भी टीम, अगर वह पुलिस से अभिरक्षित नहीं है तो गुस्साए परिजनों के हमले का खुला द्वार होती है। बदसलूकी का उस पर इल्जाम तो मामूली बात है जबकि यह कानूनी कार्रवाई में बाधा डालने और अफसरों पर हमले का मामला था, जिसकी प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।

ममता क्या बताएंगी कि संदेशखालि का मामला इतनी ही फुर्ती से क्यों दर्ज नहीं हो सका था? दरअसल, एनआईए प्रकरण से ममता सरकार में संरक्षित आतंकवाद की फिर पोल-पट्टी खुल गई है। ऐसा करके वे चंद वोटों को ही गारंटिड कर सकी हैं। उसी समुदाय के अधिकतर लोगों एवं सूबे का भरोसा हार गई हैं, जिनकी कामना आतंकवाद-मुक्त शांतिपूर्ण-सहअस्तित्व की है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top