Breaking News
क्या डायबिटीज के मरीजों के लिए ज्यादा नमक खाना भी है खतरनाक, आइये जानते हैं क्या कहते हैं स्वास्थ्य विशेषज्ञ 
क्या डायबिटीज के मरीजों के लिए ज्यादा नमक खाना भी है खतरनाक, आइये जानते हैं क्या कहते हैं स्वास्थ्य विशेषज्ञ 
उत्तराखंड में पाकिस्तानी नागरिकों के पहचान की कार्रवाई तेज
उत्तराखंड में पाकिस्तानी नागरिकों के पहचान की कार्रवाई तेज
शिक्षा मंत्री ने अधिकारियों को दिए निर्देश, कहा गैरहाजिर शिक्षकों व कर्मचारियों को किया जाए बर्खास्त
शिक्षा मंत्री ने अधिकारियों को दिए निर्देश, कहा गैरहाजिर शिक्षकों व कर्मचारियों को किया जाए बर्खास्त
सीएम धामी ने चारधाम यात्रा ट्रांजिट कैंप का किया औचक निरीक्षण
सीएम धामी ने चारधाम यात्रा ट्रांजिट कैंप का किया औचक निरीक्षण
आईपीएल 2025– चेन्नई सुपर किंग्स और सनराइजर्स हैदराबाद के बीच मुकाबला आज
आईपीएल 2025– चेन्नई सुपर किंग्स और सनराइजर्स हैदराबाद के बीच मुकाबला आज
सीएम धामी ने पूर्व मुख्यमंत्री स्व. हेमवती नंदन बहुगुणा की मूर्ति पर माल्यार्पण कर किया उनका भावपूर्ण स्मरण 
सीएम धामी ने पूर्व मुख्यमंत्री स्व. हेमवती नंदन बहुगुणा की मूर्ति पर माल्यार्पण कर किया उनका भावपूर्ण स्मरण 
सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ जारी, एक आतंकी ढेर
सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ जारी, एक आतंकी ढेर
सिनेमाघरों में नहीं चला ‘केसरी चैप्टर 2’ का जादू, फिल्म की कमाई में लगातार आ रही गिरावट
सिनेमाघरों में नहीं चला ‘केसरी चैप्टर 2’ का जादू, फिल्म की कमाई में लगातार आ रही गिरावट
उत्तराखंड सरकार ने ‘प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना’ के तहत मिलने वाली सब्सिडी बंद करने का लिया फैसला 
उत्तराखंड सरकार ने ‘प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना’ के तहत मिलने वाली सब्सिडी बंद करने का लिया फैसला 

महंगे एक्सप्रेस-वेज ही इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं

महंगे एक्सप्रेस-वेज ही इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं

सिर्फ ऊंचे टॉल टैक्स वाले महंगे एक्सप्रेस-वेज (जो आम जन की पहुंच से बाहर हों) ही इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं हैं। असल कसौटी यह है कि एक्सप्रेज-वेज से उतरने के बाद शहर और गांवों में ऐसे निर्माणों के कारण जिंदगी कितनी सहूलियत भरी हुई है।

लखनऊ में चारबाग स्टेशन के बाहर नौका चलते देखना कौतुक से भरा अनुभव है। वाराणसी में शहर के अंदर जगह-जगह तालाब जैसा नज़ारा बनना उससे कोई कम तजुर्बा नहीं है। ठीक ही कटाक्ष किया गया है कि वादा वाराणसी को क्योटो (जापान की स्मार्ट सिटी) बनाने का था, लेकिन उसे वेनिस (इटली का मशहूर नगर जहां शहर के अंदर मौजूद झीलों में नौकाएं चलती हैं) बना दिया गया। यह तो सिर्फ दो मिसालें हैं।

जल जमाव के शिकार शहरों की सूची रोज लंबी होती जा रही है। सोमवार सुबह-सुबह खबर आई की महानगर मुंबई में रात में हुई बारिश से जगह-जगह पानी भर गया है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वैसा नज़ारा पैदा हुए अभी कुछ रोज ही गुजरे हैं। यानी महानगर से लेकर छोटे शहरों तक में इस मामले में समरूपता बनती जा रही है। एयरपोर्ट्स के अंदर पानी घुसना और ट्रेनों से लेकर रेलवे स्टेशनों तक पर ऊपर से रिसते पानी से झरने जैसा दृश्य बनना आम हो गया है। यह उस देश का हाल है, जहां “तेजी से विकसित होते इन्फ्रास्ट्रक्चर” की कहानियां इस तरह फैली हैं कि देशवासी अक्सर उस पर गर्व करते दिखते हैं।

ये कहानियां दूर-दूर तक फैली हैं। कुछ समय पहले मशहूर ब्रिटिश पत्रिका द इकॉनमिस्ट ने अपनी एक रिपोर्ट में इसे “माउथवाटरिंग” इन्फ्राक्टक्चर निर्माण कहा था। बहरहाल, आम भारतवासियों के मुंह में इस निर्माण को देख कर पानी भले ना आता हो, लेकिन उन्हें अपने चारों ओर भरे पानी को चीरते हुए जरूर गुजरना पड़ रहा है। तो अब जरूरी हो गया है कि इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण के बारे में नई समझ बनाई जाए। सिर्फ ऊंचे टॉल टैक्स वाले एक्सप्रेस-वेज (जो आम जन की पहुंच से बाहर हों) ही इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं हैं। असल कसौटी यह है कि एक्सप्रेज-वेज से उतरने के बाद शहर और गांवों में ऐसे निर्माणों के कारण जिंदगी कितनी सहूलियत भरी हुई है। वैसे तो हर मौसम में इस कसौटी पर हमारी बस्तियां फेल होती हैं, लेकिन इस वर्ष की बरसात में टूटते पुलों, सडक़ों में पड़ती दरार, एयरपोर्ट और रेलवे ढांचे में घुसते पानी, आदि ने कुछ ज्यादा पोल खोल दी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top