Breaking News
इंटरनेशनल मास्टर्स लीग 2025 का आज से होने जा रहा आगाज, पहले मुकाबले में इंडिया मास्टर्स से भिड़ेगी श्रीलंका मास्टर्स
इंटरनेशनल मास्टर्स लीग 2025 का आज से होने जा रहा आगाज, पहले मुकाबले में इंडिया मास्टर्स से भिड़ेगी श्रीलंका मास्टर्स
टिहरी के थत्यूड़ में दो भाईयों की कार हुई हादसे का शिकार, एक की मौके पर ही मौत 
टिहरी के थत्यूड़ में दो भाईयों की कार हुई हादसे का शिकार, एक की मौके पर ही मौत 
तस्करों ने वन दारोगा पर किया हमला, बंदूक तोड़कर लूटे कारतूस, हमलावरों की तलाश शुरू
तस्करों ने वन दारोगा पर किया हमला, बंदूक तोड़कर लूटे कारतूस, हमलावरों की तलाश शुरू
प्रधानमंत्री मोदी मॉरीशस के राष्ट्रीय दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि होंगे शामिल
प्रधानमंत्री मोदी मॉरीशस के राष्ट्रीय दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि होंगे शामिल
मसपुर-कालियावास गांव के बीच स्थित नहर के पास टकराई दो बाइक, एक युवक की गई जान 
मसपुर-कालियावास गांव के बीच स्थित नहर के पास टकराई दो बाइक, एक युवक की गई जान 
अपने बयान के लिए वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने प्रकट किया खेद
अपने बयान के लिए वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने प्रकट किया खेद
अर्जुन कपूर अभिनीत फिल्म ‘मेरे हसबैंड की बीवी’ की सिनेमाघरों में हुई धीमी सुरुआत, पहले दिन कमाए एक करोड़ 13 लाख
अर्जुन कपूर अभिनीत फिल्म ‘मेरे हसबैंड की बीवी’ की सिनेमाघरों में हुई धीमी सुरुआत, पहले दिन कमाए एक करोड़ 13 लाख
विधानसभा में भू-कानून को अधिक सशक्त करते हुए ऐतिहासिक संशोधन विधेयक किया पास
विधानसभा में भू-कानून को अधिक सशक्त करते हुए ऐतिहासिक संशोधन विधेयक किया पास
क्या आपको भी रहती है लंबे समय तक हिचकी की समस्या, तो जान लीजिये कहीं ये किसी गंभीर बीमारी का संकेत तो नहीं
क्या आपको भी रहती है लंबे समय तक हिचकी की समस्या, तो जान लीजिये कहीं ये किसी गंभीर बीमारी का संकेत तो नहीं

तबाही ला सकती हैं ग्लेशियर झीलें

तबाही ला सकती हैं ग्लेशियर झीलें

विनोद कुमार
पिछले साल सिक्किम में लहोनक ग्लेशियर झील फटने की घटना पुरानी नहीं है जिसमें 180 लोगों के मरने व पांच हजार करोड़ के नुकसान की खबर थी। इसी तरह केदारनाथ में चौराबाड़ी ग्लेशियर झील फटने से हजारों लोगों की जल प्रलय में मौत हुई थी। 2021 में उत्तराखंड की नीति घाटी में ग्लेशियर झील फटने से दो सौ लोगों के मरने समेत डेढ़ हजार करोड़ का नुकसान हुआ था। अब हिमालय पर्यावरण विशेषज्ञ चेता रहे हैं कि देश के हिमालय क्षेत्र में आने वाले राज्यों में खतरनाक किस्म की 188 ग्लेशियर झीलें बन चुकी हैं, जो किसी बड़े भूकंप आने पर लाखों लोगों के जीवन पर घातक प्रभाव डाल सकती हैं। यूं तो सबसे ज्यादा खतरे की वजह पूर्वोत्तर की झीलें हैं, लेकिन खतरा कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश व सिक्किम में भी लगातार बना हुआ है। दरअसल, केंद्रीय गृहमंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाले डिजास्टर मैनेजमेंट डिवीजन और हिमालय अध्ययन विशेषज्ञों की टीम द्वारा किए गए एक साल की स्टडी के बाद जो निष्कर्ष सामने आए हैं वे चिंता में डालने वाले हैं। दरअसल, अब ग्लोबल वार्मिंग का वास्तविक खतरा सामने दिखायी दे रहा है।

लगातार बढ़ते तापमान से हिमालयी क्षेत्र में ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। पहाड़ों में बर्फ पिघलने से बने जल को निकासी का रास्ता न मिलने पर ये बर्फीला पानी झीलों के रूप में एकत्र हो जाता है। पर्यावरण विशेषज्ञ चिंता जता रहे हैं कि यदि इन संवेदनशील इलाकों में सात तीव्रता जैसा भूकंप आता है तो ये झीलें जल बम बनकर फूट सकती हैं। इससे छह राज्यों की करीब तीन करोड़ आबादी प्रभावित हो सकती है। दरअसल, इस हालिया अध्ययन में बताया गया है कि ग्लोबल वार्मिंग संकट के चलते इन हिमालयी क्षेत्रों में 28 हजार से अधिक झीलें बन गई हैं। जिसमें 188 ज्यादा खतरनाक साबित हो सकती हैं। इन संवेदनशील झीलों को ए श्रेणी में रखा गया है। इन इलाकों में ग्लेशियरों के पिघलने व खिसकने का खतरनाक ट्रेंड देखा गया है।

वैज्ञानिक चिंता जता रहे हैं कि ग्लोबल वार्मिंग के चलते ग्लेशियरों की पिघलने की दर 15 प्रतिशत बढ़ गई है। जो हमारे लिए गंभीर चेतावनी का कारण बन रही है। केंद्र सरकार के अधिकारी और पर्यावरण विशेषज्ञ ग्राउंड जीरो व उपग्रहों के जरिये इन झीलों की बराबर निगरानी कर रहे हैं। इन इलाकों में स्वचालित मौसम निगरानी केंद्र बनाये गए हैं। इस दिशा में मंथन किया जा रहा है कि कैसे इन खतरनाक झीलों का पानी आधुनिक तरीकों से रिलीज किया जाए। एक ओर जहां झीलों से जल निकासी के रास्ते तलाशे जा रहे हैं, वहीं ड्रिल करके पानी को नियंत्रित करने पर भी विचार हो रहा है। इसके अलावा भूमिगत पानी के साथ मिलाने के लिये भूमिगत टनल बनाने पर भी मंथन हो रहा है। निस्संदेह,यह एक गंभीर पर्यावरणीय संकट हैं और छह राज्यों के करोड़ों लोग इस संकट से प्रभावित हो सकते हैं। दरअसल, झील के फटने पर मिट्टी व भारी मलबा ढलान पर गोली की तरह उतरता है, जो भारी तबाही का कारण बन सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top