हरियाणा। हरियाणा में राज्यसभा की एक सीट के लिए चुनाव होना है. जिसे लेकर राज्य में सियासी हलचल तेज हो गई है. निर्वाचन आयोग ने अभी राज्यसभा उपचुनाव की तारीख की घोषणा नहीं की है. इसी बीच राज्य के पूर्व सीएम और वरिष्ठ कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कांग्रेस के प्रत्याशी उतारने को लेकर बड़ा बयान दिया है.
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि अगर जननायक जनता पार्टी (जजपा) के नेता दुष्यंत चौटाला आश्वासन देते हैं कि उनकी पार्टी के सभी 10 विधायक उनके साथ हैं तो कांग्रेस हरियाणा में राज्यसभा के उपचुनाव में अपना प्रत्याशी खड़ा करने पर विचार कर सकती है.
बीजेपी के लिए खड़ी हो जाएगी चुनौती
कांग्रेस अगर राज्यसभा उपचुनाव के लिए अपना उम्मीदवार खड़ा करती है तो इससे राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए बड़ी चुनौती खड़ी हो जाएगी. सत्तारूढ़ दल के पास 90 सदस्यीय विधानसभा में 41 विधायक हैं और फिलहाल सदन की प्रभावी संख्या 87 है.
‘दुष्यंत पहले समर्थन दें, तब ही हम सोचेंगे’
भाजपा को हरियाणा लोकहित पार्टी के एकमात्र विधायक एवं निर्दलीय विधायक नयनपाल रावत का समर्थन भी प्राप्त है. भूपेंद्र हुड्डा ने कहा, ‘कांग्रेस के पास 29 विधायक हैं तथा तीन निर्दलीय विधायक हमारा समर्थन करते हैं. हमें 13-14 और विधायकों की जरूरत है, लेकिन दुष्यंत को पहले अपने 10 विधायकों को पेश करना चाहिए तब ही हम सोचेंगे.’
जजपा नेता ने की है समर्थन की पेशकश
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने एक प्रश्न के जवाब में यह बात कही. उनसे जजपा के नेता दुष्यंत चौटाला के हाल के एक बयान के बारे में सवाल किया गया था. हाल में चौटाला ने राज्यसभा उपचुनाव के लिए कांग्रेस द्वारा अपना प्रत्याशी खड़ा करने की स्थिति में समर्थन की पेशकश की है.
ऐसी खबरें हैं कि दो जजपा विधायक हाल में भाजपा के प्रति अपना समर्थन घोषित कर चुके हैं. इस बीच चौटाला ने कहा कि यदि कांग्रेस गंभीरता से उपचुनाव लड़ती है तो भाजपा की हार पक्की है.
दुष्यंत चौटाला ने क्या कहा?
उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, ‘एक तरफ नेता प्रतिपक्ष भूपेन्द्र हुड्डा का यह कहना कि हरियाणा सरकार के पास बहुमत नहीं है, दूसरी तरफ राज्यसभा उपचुनाव यह कह कर लड़ने से इनकार करना कि विपक्ष के पास संख्या बल नहीं है. ये दोनों बातें सच कैसे हो सकती हैं क्योंकि दोनों बातें विरोधाभासी हैं.’
उन्होंने कहा, ‘हरियाणा की जनता राज्यसभा उपचुनाव में भाजपा को हारता हुआ देखना चाहती है, लेकिन भूपेन्द्र हुड्डा भाजपा के इशारे पर चुनाव ही नहीं लड़ना चाहते.’