हरियाणा। सरकार ने निजी ब्लड बैंकों के लिए रक्तदान शिविर लगाने के लिए सीएमओ से मंजूरी लेने की शर्त को हटा दी है। अब निजी ब्लड बैंक प्रदेश के किसी भी कोने में रक्तदान शिविर लगा सकेंगे।
उधर, सरकार के इस फैसले के खिलाफ सामाजिक और सरकारी संस्थाओं ने मोर्चा खोल दिया है। फैसले को वापसी की मांग करते हुए सामाजिक संस्थाओं में तो निजी ब्लड बैंकों का साथ नहीं देने का एलान किया है और जल्द ही प्रदेशस्तरीय बैठक का बुलाई है।
निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं हरियाणा स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूशन काउंसिल की ओर से सभी सीएमओ को जारी पत्र में कहा गया है कि प्रदेश के निजी लाइसेंस धारक ब्लड बैंक को रक्तदान शिविर लगाने के लिए सीएमओ को अग्रीम अनुमति की जरूरत नहीं है। केवल संबंधित सीएमओ को ब्लड कैंप के बारे में जानकारी देनी होगी। जबकि पहले निजी ब्लड बैंकों को 15 दिन पहले सीएमओ को पत्र लिखकर इसकी अनुमति लेनी होती थी। इस दौरान बकाया संबंधित ब्लड बैंक को अपनी क्षमता, उपकरणों और स्टाफ की जानकारी देनी होती थी। पत्र में ये भी कहा गया है कि इन ब्लड कैंपों में से एकत्रित होने वाले खून का 10 से 30 प्रतिशत अगर जरूरत होगी तो सरकारी ब्लड बैंक को देना होगा।
एक साल में 5.50 लाख यूनिट एकत्रित होता है ब्लड
हरियाणा में 42 सरकारी और 104 निजी ब्लड बैंक केंद्र हैं। सालाना हरियाणा में औसतन साढ़े पांच लाख यूनिट ब्लड रक्तदान शिविरों में एकत्र किया जाता है। इनमें से 3.46 लाख यूनिट रेडक्रास के माध्यम से एकत्र होता है, जबकि अन्य निजी केंद्रों द्वारा एकत्र होता है।
इस समय सरकारी अस्पताल में दाखिल मरीज को अगर खून की जरूरत है सरकारी ब्लड बैंक से निशुल्क मिल जाता है। अगर किसी निजी अस्पताल में दाखिल मरीज को खून की जरूरत है तो सरकारी केंद्र से 1100 रुपये प्रति यूनिट ले सकता है। लेकिन प्राइवेट केंद्र में एक यूनिट की फीस 1550 है। इसके अलावा सिक्योरिटी के नाम पर भी कुछ पैसे लिए जाते हैं। कई बार इमरजेंसी में मनमाने पैसे भी वसूलने की शिकायतें मिलती हैं। सरकारी ब्लड बैंकों के इंचार्ज भी इस फैसले के खिलाफ आ गए हैं। उनका कहना है कि अगर यह फैसला लागू हुआ तो सरकारी केंद्रों में ब्लड की कमी होगी और निजी ब्लड बैंक मनमाने पैसे वसूलेंगे।
बहुत से निजी ब्लड बैंक नियमों का पालन नहीं करते। बिना अनुमति के प्रदेशभर में निजी ब्लड बैंकों में रक्तदान शिविर लाने की होड़ मचेगी। ऐसे में रक्तदाताओं को लालच भी दिया जा सकता है। खून की गुणवत्ता पर भी असर पड़ सकता है। सरकारी ब्लड बैंकों में रक्त की कमी बढ़ेगी, जिसका गरीब आदमी को नुकसान होगा। जब तक सरकार इस आदेश को वापस नहीं लेती, तब तक अन्य जिलों से आकर शिविर लगाने वाले निजी ब्लड बैंकों की बजाय सरकारी ब्लड बैंकों के साथ ही शिविर किए जाएंगे। जल्दी ही इस विषय पर सामाजिक संस्थाओं की बैठक बुलाएंगे और सामूहिक निर्णय लेने का प्रयास करेंगे। – प्रीतपाल पन्नू, प्रधान, निफा (नेशनल इंटीग्रेटेड फॉर्म ऑफ आर्टिस्ट एंड एक्टिविस्ट)
सामाजिक संस्थाओं को ये हैं आशंकाएं
सरकारी केंद्रों में खून की कमी होगी
निजी केंद्रों में मनमाने रेट वसूले जाएंगे
खून की गुणवत्ता पर भी असर पड़ सकता है
रक्तदान के समय लापरवाही के मामले आ सकते हैं
निजी केंद्रों पर सरकार की निगरानी कम हो जाएगी
रक्तदान शिविरों के लिए प्रदेश में होड़ मचेगी