Breaking News
कम होगा बच्चों के बस्ते का बोझ, माह में एक दिन रहेगा बैग फ्री डे
कम होगा बच्चों के बस्ते का बोझ, माह में एक दिन रहेगा बैग फ्री डे
सीएम के आत्मनिर्भर दीदी-भूली, जन स्वास्थ्य, सुगम सुविधा के संकल्प को आगे बढाता जिला प्रशासन
सीएम के आत्मनिर्भर दीदी-भूली, जन स्वास्थ्य, सुगम सुविधा के संकल्प को आगे बढाता जिला प्रशासन
पूर्व सीएम के बेटे को जिंदा होते हुए किया गया मृत घोषित, अदालत में की झूठी रिपोर्ट पेश 
पूर्व सीएम के बेटे को जिंदा होते हुए किया गया मृत घोषित, अदालत में की झूठी रिपोर्ट पेश 
राजकीय बालिका निकेतन के असहाय बच्चों के साथ खेल मंत्री ने देखा बसंतोत्सव
राजकीय बालिका निकेतन के असहाय बच्चों के साथ खेल मंत्री ने देखा बसंतोत्सव
गलत योग करने की वजह से हो सकती है कई परेशानियों, इन बातों का रखे ध्यान 
गलत योग करने की वजह से हो सकती है कई परेशानियों, इन बातों का रखे ध्यान 
परमार्थ निकेतन आश्रम में आज से शुरू हुआ योग महोत्सव
परमार्थ निकेतन आश्रम में आज से शुरू हुआ योग महोत्सव
ब्रेकिंग- उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को बेचैनी और सीने में दर्द के चलते सीसीयू में कराया गया भर्ती 
ब्रेकिंग- उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को बेचैनी और सीने में दर्द के चलते सीसीयू में कराया गया भर्ती 
भारत और न्यूजीलैंड के बीच चैंपियंस ट्रॉफी का फाइनल मुकाबला आज 
भारत और न्यूजीलैंड के बीच चैंपियंस ट्रॉफी का फाइनल मुकाबला आज 
सीएम धामी ने  विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं को किया सम्मानित
सीएम धामी ने  विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं को किया सम्मानित

बुजुर्गों की सेहत और चुनौतियां, पारिवारिक और सामाजिक उपेक्षा बढ़ रहा संकट

बुजुर्गों की सेहत और चुनौतियां, पारिवारिक और सामाजिक उपेक्षा बढ़ रहा संकट

किरन सिंह

अगर बुजुर्गों की आबादी का एक बड़ा हिस्सा किन्हीं वजहों से अपना इलाज नहीं करा पाता, तो यह समाज और व्यवस्था की एक बड़ी नाकामी है। गौरतलब है कि एक गैरसरकारी संगठन के अध्ययन में यह तथ्य सामने आया है कि शहरी इलाकों के लगभग पचास फीसद बुजुर्ग आर्थिक मुश्किलों और कई अन्य तरह की चुनौतियों के चलते जरूरत के वक्त चिकित्सकों के पास नहीं जा पाते हैं। ग्रामीण इलाकों में यह समस्या ज्यादा व्यापक है। वहां बुजुर्ग आबादी के बासठ फीसद से ज्यादा के सामने आर्थिक और अन्य बाधाएं खड़ी हैं, जिनके चलते उन्हें बीमारी में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

आमतौर पर साठ वर्ष की उम्र के बाद व्यक्ति को सेवानिवृत्ति की वजह से आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जबकि इसी उम्र में उन्हें सेहत संबंधी देखभाल की ज्यादा जरूरत पड़ती है। ऐसे में अगर स्वास्थ्य सुविधाएं सुलभ हों तो उनका जीवन कुछ आसान हो सकता है। मगर कई बार पारिवारिक उपेक्षा के शिकार बुजुर्गों को सरकार की ओर से भी सामाजिक सुरक्षा के रूप में कोई विशेष सुविधा नहीं मिल पाती है। वहीं देश के कई इलाकों में सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव और आर्थिक स्थिति से जुड़ी समस्याएं जगजाहिर रही हैं।

यह कोई छिपा तथ्य नहीं है कि आज वृद्धावस्था में पेंशन या अन्य सामाजिक सुरक्षा के अभाव में दैनिक खर्च और स्वास्थ्य देखभाल पर खर्च में भारी उछाल आया है। इसके अलावा, स्वास्थ्य बीमा के क्षेत्र में ज्यादा उम्र वालों के लिए अब तक जो शर्तें रही हैं, वे स्वास्थ्य सुविधाओं तक उनकी पहुंच को मुश्किल बनाती हैं। आए दिन ऐसी खबरें आती रहती हैं कि किसी वृद्ध व्यक्ति के बीमार पड़ने पर उचित इलाज न मिल पाने से उसकी जान चली गई।

यह ध्यान रखने की जरूरत है कि आमतौर पर हर बुजुर्ग अपने बाद की उस पीढ़ी को बेहतर जीवन देने के लिए अपनी जिंदगी झोंक देता है, जो अपने परिवार साथ-साथ समाज और देश के लिए एक उपयोगी संसाधन बनता है। सवाल है कि बुजुर्गों की अपनी संतानें और सत्ता-तंत्र उसके स्वास्थ्य और संतोषजनक जीवन के लिए उचित व्यवस्था करने के प्रति उदासीन क्यों रहता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top