Breaking News
पीएम से सराहना देवभूमि के लिए गौरव की बात- रेखा आर्या
पीएम से सराहना देवभूमि के लिए गौरव की बात- रेखा आर्या
राष्ट्रीय खेलों पर देश ने सुनी पीएम के ‘मन की बात’
राष्ट्रीय खेलों पर देश ने सुनी पीएम के ‘मन की बात’
दिल्ली की पूर्व सीएम आतिशी विधानसभा में निभाएंगी विपक्ष के नेता की भूमिका, गोपाल राय ने की औपचारिक घोषणा
दिल्ली की पूर्व सीएम आतिशी विधानसभा में निभाएंगी विपक्ष के नेता की भूमिका, गोपाल राय ने की औपचारिक घोषणा
एक्शन से भरपूर विज्ञापन में साथ दिखे सलमान खान और ऋतिक रोशन, यूजर्स दे रहे तरह- तरह की प्रतिक्रिया 
एक्शन से भरपूर विज्ञापन में साथ दिखे सलमान खान और ऋतिक रोशन, यूजर्स दे रहे तरह- तरह की प्रतिक्रिया 
प्रधानमंत्री मोदी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम पूरे देश वासियों को एक नई प्रेरणा देता है – सीएम धामी
प्रधानमंत्री मोदी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम पूरे देश वासियों को एक नई प्रेरणा देता है – सीएम धामी
अलग अंदाज में खेलना चाहते हैं होली, तो इन जगहों के बारे में जानिए जहां की होली है दुनियाभर में प्रसिद्ध 
अलग अंदाज में खेलना चाहते हैं होली, तो इन जगहों के बारे में जानिए जहां की होली है दुनियाभर में प्रसिद्ध 
आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी के महामुकाबले का मंच तैयार, भारत और पाकिस्तान की टीमें आज होंगी आमने-सामने 
आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी के महामुकाबले का मंच तैयार, भारत और पाकिस्तान की टीमें आज होंगी आमने-सामने 
यूसीसी को लेकर भ्रामक तथ्यों के प्रचार पर स्पष्टीकरण एवं कानूनी चेतावनी
यूसीसी को लेकर भ्रामक तथ्यों के प्रचार पर स्पष्टीकरण एवं कानूनी चेतावनी
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने साइकिल रैली से दिया मतदाता जागरुकता का संदेश
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने साइकिल रैली से दिया मतदाता जागरुकता का संदेश

कोई राज्य हाईवे कैसे बंद कर सकता है

कोई राज्य हाईवे कैसे बंद कर सकता है

सर्वोच्च अदालत ने हरियाणा सरकार से अंबाला के पास शंभू बॉर्डर पर लगाए अवरोधक हटाने का निर्देश दिया है। अदालत ने राजमार्ग को अवरुद्ध करने के अधिकार पर भी प्रश्न उठाए। कोई राज्य हाईवे को कैसे बंद कर सकता है। यातायात नियंत्रित करने को उसका दायित्व बताते हुए अदालत ने कहा कि किसान भी देश के नागरिक हैं। उन्हें खाना दीजिए, चिकित्सकीय देखभाल कीजिए। पीठ ने कहा वे आएंगे, नारे लगाएंगे, वापस चले जाएंगे।

संयुक्त किसान मोर्चा, किसान मजदूर मोर्चा द्वारा फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी सहित विभिन्न मांगों को लेकर दिल्ली चलो की घोषणा के बाद हरियाणा सरकार ने फरवरी में अंबाला-नई दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग में बैरीकेड्स लगा दिए थे।

शीर्ष अदालत हरियाणा सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी। जैसा कि फरवरी में प्रदर्शनकारी किसानों और हरियाणा के सुरक्षाकर्मियों के दरम्यान हुई झड़प में हुई किसान की मौत की जांच के लिए उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में पैनल गठित करने का निर्देश दिया था। राज्य सरकार का कहना है कि 400-500 किसान पंजाब की तरफ बैठे हैं।

सबसे बड़ी अदालत की नाराजगी उस यातायात अव्यवस्था के कारण है, जिससे जनता को हर रोज जूझना पड़ता है। इस पर हैरत नहीं होती कि सरकारें किस बेरुखी से व्यस्त सडक़ों पर अवरोधक लगाने के आदेश जारी कर देती हैं। पांच महीनों से ऐसी सडक़ को बाधित रखना, जिसका प्रयोग ढेरों लोग नियमित तौर पर करते हैं।

यहां तो किसानों के उग्र आंदोलन की दलील दी जा सकती है जबकि देखने में आता है कि राजनेताओं की सुविधा और उनके कार्यक्रमों के मद्देनजर देश भर में अवरोधकों के धड़ल्ले से उपयोग होते रहते हैं। अदालतों की कड़ी टिप्पणियों के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं होती।
सरकारी आदेशों या नियमों के विरोध का हक नागरिकों से छीना नहीं जा सकता। उन्हें काबू में रखने के तरीके मानवीय और व्यावहारिक भी हो सकते हैं। बात नाराज किसानों की ही नहीं है, बल्कि सडक़ को लंबे समय तक बंद रखने और वैकल्पिक व्यवस्था देने में कोताही की भी है। उम्मीद की जानी चाहिए अदालत के इस आदेश से सरकारें सीख लेंगी और भविष्य में अवरोधकों का बेजा प्रयोग थम जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top