झज्जर। पेरिस ओलंपिक के तीसरे दिन भारत ने पहला मेडल जीता है। हरियाणा के झज्जर की बेटी ने मनु भाकर ने देश को पहला मेडल दिलाया है। उन्होंने 10 मीटर महिला एयर पिस्टल इवेंट के फाइनल में ब्रांज मेडल जीता है। मनु के पदक जीतने पर परिवार व उनके गांव गोरिया में जश्न भी शुरू हो गया है।
मनु भाकर के शूटर बनने की कहानी भी बेहद चिलचस्प है। क्योंकि मनु के माता और पिता बेटी को कुछ और ही बनाना चाहते थे। मां डॉ. सुमेधा भाकर बेटी को डॉक्टर बनाना चाहती थीं। वहीं पिता की ख्वाहिश थी कि बेटी बॉक्सर बने। लेकिन मनु और उनकी किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। हालांकि मनु ने शूटिंग से पहले अन्य खेलों में भी खुद को आजमाया है। मनु ने बॉक्सिंग, आर्चरी, टेनिस और स्केटिंग की भी प्रैक्टिस की है, लेकिन उन्हें ये सब पसंद नहीं आया और अंत में उन्होंने शूटिंग को चुना।
मां ने मानी शिक्षक की सलाह
मनु की मां डॉ. सुमेधा भाकर स्कूल प्रिंसिपल हैं। वह चाहती थीं कि उनकी बेटी डॉक्टर बने। स्कूल के शिक्षक ने उनकी मां को मनु को खेलों में डालने की सलाह दी। शिक्षक ने कहा कि अगर मनु डॉक्टर भी बन गई तो उसे कौन जानेगा। यदि मनु खेलों में देश के लिए मेडल जीतेगी तो देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया उसे जानेगी। उनकी मां को शिक्षक की सलाह सही लगी। इसके बाद मनु ने खेलों को अपनाया।
इसलिए मनु ने छोड़ दी बॉक्सिंग
वहीं मनु के पिता रामकिशन उसे बॉक्सर बनाना चाहते थे। मनु के बडे़ भाई बॉक्सिंग करते थे। इसलिए मनु भी बॉक्सिंग करने लगी। राष्ट्रीय स्तर पर मेडल भी जीते। एक दिन प्रैक्टिस करते हुए मनु के आंख पर चोट लग गई। इससे आंख सूज गई थी। चोट लगने के बाद मनु ने बॉक्सिंग छोड़ने का मन बना लिया। बॉक्सिंग के बाद मनु ने मार्शल आर्टस खेला, लेकिन मनु को लगा कि इस गेम में चीटिंग होती है। उसने यह खेल भी छोड़ा। मनु ने आर्चरी, टेनिस, स्केटिंग की प्रैक्टिस की, लेकिन उसका मन नहीं लगा और इसके बाद शूटिंग को चुना और बेटी ने आज पेरिस ओलंपिक में ब्रांज मेडल जीतकर देश, प्रदेश के साथ माता-पिता व गांव का नाम भी रोशन किया है।