अंबाला। रेलवे ने भीड़भाड़ कम करने के मकसद से बेशक विशेष ट्रेनों का संचालन शुरू कर दिया है, लेकिन इन ट्रेनों के संचालन के बाद भी यात्रियों को भीड़भाड़ से राहत नहीं मिल रही है। इसका प्रमुख कारण ट्रेनों का देरी से चलना है। इसके अलावा रेलवे के अधिकारियों के पास विशेष ट्रेनों की समय सारिणी भी उपलब्ध नहीं है। जिससे यात्रियों को इन ट्रेनों के रेलवे स्टेशन पर आने का पता पांच-दस मिनट पहले चलता है।
ऐसी ही परेशानी अंबाला कैंट स्टेशन पर आने वाले यात्रियों को झेलनी पड़ रही है। रविवार को भी जब यात्री ट्रेन नंबर 04212 चंडीगढ़-वाराणसी एक्सप्रेस में चढ़ने के लिए स्टेशन पर पहुंचे और उन्होंने पूछताछ केंद्र पर जाकर ट्रेन के आने की जानकारी पूछी तो उन्हें बताया कि दैनिक ट्रेनों की तरह स्पेशल ट्रेनों के आने का समय निर्धारित नहीं है। जब आएगी तो उद्धोषणा कर दी जाएगी। इसी परेशानी को लेकर जब यात्री प्लेटफार्म 1 पर स्थित अधिकारियों के कमरे में गए तो उन्हें वहां भी ऐसा ही जवाब मिला कि स्पेशल ट्रेनें कभी समय पर नहीं चलती, कभी एक घंटा तो कभी दो घंटे लेट होना निश्चित है। अगर रेलवे लाइन या फिर कोई अन्य गड़बड़ी हो जाए तो फिर स्पेशल ट्रेन 24 घंटे लेट हो जाती है। ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्पेशल का टैग लगने के बाद भी ट्रेनें देरी से चल रही हैं।
अधिक किराया, सुविधा कम
ट्रेन नंबर 04212 का अंबाला से वाराणसी तक स्लीपर श्रेणी में किराया 610 रुपये और तृतीय एसी श्रेणी में 1625 रुपये किराया है। वहीं रोजाना चलने वाली ट्रेन नंबर 12238 जम्मूतवी-वाराणसी बेगमपुरा एक्सप्रेस में स्लीपर श्रेणी का किराया 475 रुपये और तृतीय एसी श्रेणी का किराया 1255 रुपये है। वहीं सुविधाओं के नाम पर न तो इन स्पेशलों ट्रेनों में पैंट्री है और न ही कोई अन्य प्रबंध। अगर गलती से बीच रास्ते कहीं ऑनलाइन माध्यम से खाने-पीने के सामान का ऑर्डर दे भी दिया तो ट्रेन के समय पर पहुंचने का कोई भी रास्ता नहीं है।
यात्रियों को राहत पहुंचाने के लिए स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया जाता है। इन ट्रेनों को समय पर संचालित करने का पूरा प्रयास रहता है, लेकिन कई बार रेलवे ट्रैक की सुरक्षा सहित अन्य कार्य को लेकर ब्लॉक लिए जाते हैं। इस कारण ट्रेनें कुछ लेट हो जाती हैं। हमारी कोशिश रहती है कि स्पेशल नंबर के टैग वाली ट्रेनों को समय पर संचालित किया जाए। -नवीन कुमार, वरिष्ठ वाणिज्य प्रबंधक, अंबाला मंडल।