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पुलिस की एंट्री आश्चर्य

पुलिस की एंट्री आश्चर्य

राजधानी दिल्ली में पानी संकट के बीच पुलिस की एंट्री आश्चर्य पैदा करती है। अब पानी को माफिया से बचाने के लिए पुलिस को ज्यादा चौकस रहना होगा। पानी माफियाओं के बढ़ते दखल के बाद अब कम-से-कम पुलिस को ज्यादा मेहनत करनी होगी। इस बाबत पुलिस फोर्स ने चौकियां स्थापित की हैं और दिल्ली को पानी की आपूर्ति करने वाली नहर के हरियाणा की सीमा पर 15 किलोमीटर के हिस्से पर गश्त शुरू कर दी है। दरअसल, राजधानी इस सीजन में पानी का अभूतपूर्व संकट झेल रहा है। गर्मी की शुरुआत से ही यहां पानी की भारी किल्लत होने लगी थी, मगर न तो दिल्ली की सरकार ने और न केंद्र सरकार ने इस ओर ध्यान दिया। जब तपिश अपने चरम पर पहुंची और जल के लिए त्राहिमाम हुआ तब इधर-उधर से पानी मांगे जाने का प्रपंच शुरू हुआ।

वैसे, यह सिर्फ इस सीजन की बात नहीं है। हर साल पानी को लेकर दिल्ली की दुारियां चरम पर रहती है। इस बार ज्यादा गर्मी की वजह से मामला चर्चा में आया। बहरहाल, भले टैंकर माफिया पर नकेल कसने के लिए पुलिस को जिम्मेदारी सौंपी गई हो, मगर जो हालात पानी को लेकर दिल्ली की दिखती है उसमें खाकी की भूमिका बहुत ज्यादा नहीं है। उसकी वजह बहुत साफ है। एक तो दिल्ली का अपना पानी का कोई सिस्टम नहीं है। पानी का ज्यादातर हिस्सा यमुना नदी का है। कुछ बोरवेल दिल्ली सरकार ने लगवाए हैं। मगर ये सब कार्य पानी की अभी की स्थिति के सामने बहुत छोटी है। यही वजह है कि पानी के लिए कभी हरियाणा तो कभी उत्तर प्रदेश तो कभी हिमाचल प्रदेश के आगे चिरौरी करनी पड़ती है। अगर दिल्ली को पानी के संकट से निजात पाना है तो उसे सबसे पहले पानी के पूर्व के स्रेतों पर काम करना होगा। इसके अलावा पानी माफिया पर कड़ा रुख दिखाना होगा। पानी की चोरी और उसके बेवजह बह कर बर्बाद होने पर भी नजर रखनी होगी। छोटे-छोटे प्रयास के दम पर ही हम दिल्ली को इस समस्या से उबार सकते हैं।

अदालत की चौखट तक जाने से पहले हमें उन पारंपरिक जल स्रेतों पर गंभीरतापूर्वक काम करना होगा। हिमाचल या हरियाणा से पानी मंगाने का चलन अब बंद होना चाहिए। दिल्ली की जनता को भी इस मामले में ईमानदार और सजग रहने की जरूरत है क्योंकि अंतत: भोगना उन्हीं को पड़ता है। दिल्ली में पानी की समस्या बड़ी तो है, मगर उतनी बड़ी नहीं कि उसका निदान न हो।

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