मुंबई। टाटा ट्रस्ट के सबसे युवा जनरल मैनेजर, शांतनु नायडू, जो रतन टाटा के बेहद करीबी माने जाते हैं, का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो में शांतनु अपनी बाइक से उस एंबुलेंस का पीछा करते हुए दिख रहे हैं, जिसमें रतन टाटा का पार्थिव शरीर ले जाया जा रहा था। रतन टाटा के निधन से शांतनु गहरे शोक में हैं, और इस वीडियो में उनकी भावनाओं की झलक साफ नजर आ रही है। रतन टाटा का पार्थिव शरीर जनता के अंतिम दर्शन के लिए मुंबई के नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स (NCPA) ले जाया गया था।
रतन टाटा के निधन से टूटे शांतनु
रतन टाटा का 9 अक्टूबर को 86 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वह पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे। शांतनु नायडू के लिए यह व्यक्तिगत रूप से बहुत बड़ा आघात है। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, “इस दोस्ती ने अब मुझमें जो खालीपन छोड़ दिया है, मैं उसे भरने की कोशिश में अपनी बाकी जिंदगी बिता दूंगा। दुःख प्यार के लिए चुकाई जाने वाली कीमत है। अलविदा, मेरे प्रिय प्रकाशस्तंभ।”
गहरी दोस्ती, पिता-पुत्र का रिश्ता
रतन टाटा और शांतनु नायडू की दोस्ती सिर्फ एक कारोबारी संबंध नहीं थी, बल्कि ये व्यक्तिगत भी थी। रतन टाटा हमेशा से जानते थे कि शांतनु मेहनती और होशियार है। यही कारण है कि उन्होंने शांतनु को अपने बेहद करीबी सर्कल में शामिल किया और उसे अपने बेटे की तरह प्यार किया।
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सोशल मीडिया पर दोनों की कई वीडियो हुईं वायरल
रतन टाटा और शांतनु की कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होती रही हैं, जिनमें दोनों साथ में समय बिताते और जानवरों की देखभाल करते नजर आते थे। रतन टाटा ने अपना कई जन्मदिन भी शांतनु के साथ ही मनाया था। उनके बीच का रिश्ता गुरु-शिष्य, मित्र और पिता-पुत्र जैसा था।
कौन हैं शांतनु नायडू?
शांतनु नायडू एक युवा उद्यमी, लेखक और एक्टिविस्ट हैं। उन्होंने सावित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया और 2016 में कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से MBA पूरा किया। शांतनु ने “मोटोपॉज” नाम की संस्था बनाई, जो सड़क पर रहने वाले कुत्तों के लिए काम करती है। उनकी इस सोच और नवाचार ने रतन टाटा का ध्यान खींचा, जो खुद भी एक पशु प्रेमी थे। इस मुलाकात के बाद रतन टाटा ने उन्हें अपने साथ काम करने का मौका दिया और तब से दोनों की यह अनमोल दोस्ती शुरू हुई।
शांतनु की भूमिका टाटा समूह में
आज शांतनु टाटा ट्रस्ट के जनरल मैनेजर के रूप में काम कर रहे हैं और टाटा समूह की नई पहल और स्टार्टअप्स में निवेश को लेकर महत्वपूर्ण सलाह देते हैं। उनकी युवा दृष्टि और जुनून ने उन्हें टाटा समूह के भीतर एक विशेष स्थान दिलाया है। शांतनु नायडू के पास रतन टाटा का समर्थन और विश्वास हमेशा से रहा है, और उनका यह रिश्ता कॉरपोरेट जगत में एक मिसाल के रूप में देखा जाता है।
रतन टाटा के निधन के बाद शांतनु के चेहरे पर गम और उनकी आंखों में आंसू स्पष्ट दिखते हैं, लेकिन उनके द्वारा किया गया यह आखिरी सम्मान उनके और रतन टाटा के बीच की अनमोल दोस्ती को हमेशा के लिए यादगार बना गया।