हरियाणा। पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट से सेवानिवृत्त न्यायाधीश ललित बतरा हरियाणा मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन बनाया गया है। वहीं, रिटायर्ड जिला एवं सत्र न्यायाधीश कुलदीप जैन और अधिवक्ता दीप भाटिया को आयोग का सदस्य बनाया गया है। गृह सचिव अनुराग रस्तोगी ने नियुक्ति आदेश जारी किए हैं।
बता दें कि पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट की फटकार के बाद हरियाणा सरकार ने मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की थी। इसके लिए सर्च कमेटी की पहली बैठक शनिवार को बुलाई गई थी। हरियाणा में मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों के पद पिछले 14 माह से खाली हैं। आयोग में मानवाधिकारों के हनन से संबंधित केसों की सुनवाई नहीं हो रही है। बीते सप्ताह हुई सुनवाई के दौरान पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने इस संबंध में सरकार को जमकर फटकार लगाई थी। हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि यदि अगली सुनवाई तक पद नहीं भरे गए तो संबंधित अधिकारी व्यक्तिगत रूप से कोर्ट के समक्ष उपस्थित होगा और याचिकाकर्ता को मुकदमे की लागत के रूप में 50 हजार रुपये अपनी जेब से देने होंगे।
कैथल निवासी शिवचरण ने याचिका दाखिल करते हुए मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन व सदस्यों के पद भरने की मांग की थी। याचिका पर सरकार ने पहले 30 मार्च तक और बाद में लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद चेयरमैन व सदस्य के पद भरने का कोर्ट को विश्वास दिलाया था। याची के वकील ने कोर्ट को बताया कि एक समय में देश का सबसे बेहतर मानवाधिकार आयोग का माने जाने वाला हरियाणा मानवाधिकार आयोग अब अपने अधिकारों के लिए मोहताज हैं। अब आयोग में न तो चेयरमैन है न ही कोई सदस्य। इसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है, अब वो अपने अधिकारों के लिए किसके आगे गुहार लगाएंगे। हरियाणा मानवाधिकार आयोग में चेयरमैन का एक और सदस्यों के दो पद हैं। राजस्थान हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस एस के मित्तल हरियाणा मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन पद से व सदस्य जस्टिस केसी पुरी अप्रैल 2023 में सेवानिवृत्त हुए थे। इसके बाद एकमात्र सदस्य दीप भाटिया के सहारे आयोग सितम्बर 2023 तक चलता रहा। भाटिया के सेवानिवृत होने के बाद आयोग पूरी तरह से चेयरमैन व सदस्य विहीन है। किसी भी मामले में सुनवाई नहीं हो पा रही है। इसलिए अब मजबूरी में इस विषय को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में इस मामले में दोषी दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी गई है जो कोर्ट के आदेश के बाद भी इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रहे।