Breaking News
सीएम धामी ने दिल्ली में भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में जनसभा को किया संबोधित
सीएम धामी ने दिल्ली में भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में जनसभा को किया संबोधित
उत्तराखंड सरकार लागू करने जा रही “यूनिफॉर्म सिविल कोड”
उत्तराखंड सरकार लागू करने जा रही “यूनिफॉर्म सिविल कोड”
विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उत्तराखण्ड केन्द्रित फ्रेमवर्क तैयार करे राज्य- मुख्य सचिव
विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उत्तराखण्ड केन्द्रित फ्रेमवर्क तैयार करे राज्य- मुख्य सचिव
निकाय चुनाव 2025- 5405 प्रत्याशियों के भाग्य का होगा फैसला 
निकाय चुनाव 2025- 5405 प्रत्याशियों के भाग्य का होगा फैसला 
बागवानों को अच्छे रंग और आकार के सेब उगाने के लिए सरकार करेगी लाखों की मदद
बागवानों को अच्छे रंग और आकार के सेब उगाने के लिए सरकार करेगी लाखों की मदद
व्यक्ति की हत्या कर नाले में फेंका शव, पोस्टमार्टम में हुआ खुलासा, मुकदमा दर्ज
व्यक्ति की हत्या कर नाले में फेंका शव, पोस्टमार्टम में हुआ खुलासा, मुकदमा दर्ज
महाकुंभ में हुई योगी सरकार की कैबिनट बैठक, सीएम ने मंत्रिमंडल के साथ संगम में लगायी डुबकी 
महाकुंभ में हुई योगी सरकार की कैबिनट बैठक, सीएम ने मंत्रिमंडल के साथ संगम में लगायी डुबकी 
हर पदक विजेता के नाम पर लगेगा पौधा – रेखा आर्या
हर पदक विजेता के नाम पर लगेगा पौधा – रेखा आर्या
राष्ट्रपति भवन परिसर में बने अमृत उद्यान को दो फरवरी से आम नागरिकों के लिए खोला जाएगा
राष्ट्रपति भवन परिसर में बने अमृत उद्यान को दो फरवरी से आम नागरिकों के लिए खोला जाएगा

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला- निजी संपत्तियों पर सरकार नहीं कर सकती कब्जा

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला- निजी संपत्तियों पर सरकार नहीं कर सकती कब्जा

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की संविधान पीठ ने मंगलवार को निजी संपत्तियों पर सरकारी अधिकार को लेकर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में 8-1 के बहुमत से यह निर्णय लिया गया। अदालत ने स्पष्ट किया कि सभी निजी संपत्तियों को सामुदायिक संसाधनों के रूप में नहीं देखा जा सकता, जिन्हें राज्य सरकार आम भलाई के लिए अपने कब्जे में ले सके।

हर निजी संपत्ति पर सरकारी अधिकार नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) के तहत सभी निजी संपत्तियों को ‘समुदाय के भौतिक संसाधनों’ का हिस्सा नहीं माना जा सकता और न ही राज्य उन्हें ‘सार्वजनिक भलाई’ के नाम पर अपने अधिकार में ले सकता है। कोर्ट ने 1978 से संबंधित कई पुराने फैसलों को पलटते हुए कहा कि केवल कुछ संपत्तियां ही सामुदायिक भलाई के लिए उपयुक्त हो सकती हैं, लेकिन सभी संपत्तियों पर सरकारी अधिकार नहीं बनता।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top