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पुलिस वैन पर फायरिंग करने वाले आरोपियों को अदालत ने दोषी करार दिया, 10-10 साल के कठोर कारावास की सुनाई सजा 

रोहतक।  हरियाणा के रोहतक में जिला अदालत से सुनारिया जेल लेकर जा रही पुलिस वैन पर फायरिंग कर तीन बंदियों पर जानलेवा हमला करने के नौ आरोपियों को अदालत ने दोषी करार दिया है। दोषियों को 10-10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है, जबकि एक दोषी को आर्म्स एक्ट में भी 5 साल की कठोर सजा सुनाई गई है, साथ ही 75-75 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया गया है। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अपराध के प्रति उदार दृष्टिकोण रखना न्यायपालिका के साथ मजाक होगा। किसी भी गंभीर अपराध के लिए अधिक गंभीरता के दंड से कुछ भी कम सहनशीलता का एक उपाय माना जाता है, जो अनुचित और नासमझी है।

पुलिस रिकाॅर्ड के मुताबिक, सितंबर 2013 में पाकस्मा निवासी कृष्ण ने शिकायत दी थी कि वह और उसका भाई नरेश उर्फ सुंडू हत्या के केस में सुनारिया जेल बंद हैं। पुलिस दो अन्य बंदियों के साथ प्रिजन वैन में अदालत से सुनारिया जेल ले जा रही थी।

वैन पुराने आईटीआई मैदान के पास पहुंची तो एक कार व दो बाइक पर छह व्यक्ति व दूसरे वाहनों में अन्य लोग पीछे-पीछे चल रहे थे। हमलावरों ने वैन को घेर कर गोलियां चलाईं। एक गोली उसके भाई नरेश व दो गोली अन्य बंदी राजेश व अजय को लगी। पुलिस ने पाकस्मा निवासी मोनू, हिम्मत उर्फ पीहू, सेठी, सोनू, संदीप उर्फ तोरू, किस्मत उर्फ रलदू व अन्य के खिलाफ जानलेवा हमला करने का केस दर्ज किया था। तभी से जिला अदालत में केस की सुनवाई चल रही थी।

75-75 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया
अदालत ने पाकस्मा निवासी अमित उर्फ मोनू, सोमदत्त उर्फ सोनू, अमित उर्फ मोनी, संदीप उर्फ टोरू, हिम्मत उर्फ पीहू, बिजेंद्र, किस्मत उर्फ रलदू, जयसिंह व संदीप उर्फ सोनू को दोषी करार दिया है। केस में आईपीसी की धारा 148 के तहत तीन साल का कठोर कारावास व 10 हजार रुपये जुर्माना, 307 के तहत 10 साल का कठोर कारावास व 50 हजार रुपये जुर्माना, सरकारी ड्यूटी में बाधा डालने की धारा 186 के तहत 3 साल का कठोर कारावास व 500 रुपये जुर्माना, 149 व 506 के तहत सात साल का कठोर कारावास व 10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है, साथ ही आरोपी सोमदत्त उर्फ सोनू को आर्म्स एक्ट के तहत 5 साल की कठोर सजा व 10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। सभी सजा एक साथ चलेंगी।

बचाव पक्ष ने मांगी नरमी, सरकारी वकील ने मांगी कड़ी सजा
अदालत में बचाव पक्ष की तरफ से कहा गया कि उनके परिवार का पालन-पोषण करने वाला नहीं है। बच्चों की उम्र इतनी नहीं कि वे भविष्य देख सकें। ऐसे में सजा में नरमी बरती जाए। वहीं, सरकारी अधिवक्ता ने कहा कि केस में नरमी बरतने का कोई आधार नहीं है। जिस तरह से घटना हुई, उससे आम जनता स्तब्ध रह गई। ऐसे में कड़ी सजा दी जाए।

11 साल पुराने केस में अदालत ने कानून व्यवस्था की स्थिति चिंताजनक बताई

2013 में दर्ज केस में अदालत ने कहा कि केस के तथ्यों के अनुसार यह एक आश्चर्यजनक घटना है, जिसमें पिछली प्रतिद्वंद्विता के कारण हमलावरों का समूह, जोकि दोषी थे, जिनकी संख्या नौ थी, सफारी वाहन और बाइक पर सवार होकर शहर के सबसे व्यस्त स्थान पर आए। वे स्पष्ट इरादे के साथ हथियारों से लैस थे। यह ऐसा केस है, जिसमें एक विशेष मामले के आरोपी को पुलिस की सुरक्षा में एक अच्छी तरह से संरक्षित पुलिस वैन में ले जाया जा रहा था, जहां दोषियों ने उस पर हमला कर दिया। यह मामला रोहतक में कानून व्यवस्था की चिंताजनक स्थिति को बताता है।

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