Breaking News
चुनाव में पारदर्शिता के लिए आयोग सख्त, व्यय विवरण न देने वालों पर होगी कार्रवाई
चुनाव में पारदर्शिता के लिए आयोग सख्त, व्यय विवरण न देने वालों पर होगी कार्रवाई
क्या आप भी करते हैं गर्मियों में अधिक आम का सेवन, अगर हां, तो जान लीजिये इसके नुकसान  
क्या आप भी करते हैं गर्मियों में अधिक आम का सेवन, अगर हां, तो जान लीजिये इसके नुकसान  
भारत का रक्षा निर्यात नई ऊंचाइयों पर, आत्मनिर्भरता बनी सफलता की कुंजी- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
भारत का रक्षा निर्यात नई ऊंचाइयों पर, आत्मनिर्भरता बनी सफलता की कुंजी- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
एक लाख की रिश्वत के साथ आईएसबीटी चौकी प्रभारी गिरफ्तार
एक लाख की रिश्वत के साथ आईएसबीटी चौकी प्रभारी गिरफ्तार
आईटीडीए को मजबूत करने के निर्देश, भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर सिस्टम अपग्रेड का आह्वान
आईटीडीए को मजबूत करने के निर्देश, भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर सिस्टम अपग्रेड का आह्वान
कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों के साथ की बैठक 
कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों के साथ की बैठक 
दुश्मनों के ठिकानों को तबाह करने में नाविक सैटेलाइट की भूमिका महत्वपूर्ण- महाराज
दुश्मनों के ठिकानों को तबाह करने में नाविक सैटेलाइट की भूमिका महत्वपूर्ण- महाराज
मुख्यमंत्री धामी ने 350 करोड़ की विधायक निधि को दी मंजूरी
मुख्यमंत्री धामी ने 350 करोड़ की विधायक निधि को दी मंजूरी
मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में “तिरंगा शौर्य सम्मान यात्रा” का किया गया भव्य आयोजन
मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में “तिरंगा शौर्य सम्मान यात्रा” का किया गया भव्य आयोजन

बहुमत गंवाने की तलवार

बहुमत गंवाने की तलवार

एनडीए अगर एकजुट रहा, तो भी सहयोगी दलों के तेवर गुजरे दस वर्षों जैसे नहीं रहेंगे। ऐसे में गठबंधन और सरकार का नेतृत्व करना एक नए तरह के कौशल की मांग करेगा। नरेंद्र मोदी ऐसे कौशल के लिए नहीं जाने जाते। दो राज्यों- उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्त्वाकांक्षाओं और सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के एजेंडे पर तगड़ा प्रहार किया। इनके अलावा कई और राज्यों ने पार्टी के वर्चस्व में सेंध लगाई। इनमें हरियाणा, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, झारखंड एवं कुछ अन्य राज्यों का जिक्र किया जा सकता है। भाजपा को ओडिशा, तेलंगाना, और यहां तक कि केरल में भी अनपेक्षित सफलताएं मिलीं।

लेकिन यह कामयाबी जिन राज्यों ने उसे झटका दिया, उसकी भरपाई करने लायक नहीं है। नतीजा यह है कि पार्टी के हाथ से बहुमत निकल गया है। बल्कि बहुमत से उसकी दूरी अच्छी-खासी है। हालांकि भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए को जरूर स्पष्ट बहुमत मिला है, लेकिन अब जो सियासी उभरी है, उसमें कौन किस गठबंधन में रहेगा, यह फिलहाल अनिश्चित हो गया है। फिलहाल निश्चित यह है कि एनडीए अगर एकजुट रहा, तो भी सहयोगी दलों के तेवर गुजरे दस वर्षों जैसे नहीं रहेंगे। ऐसे में गठबंधन और सरकार का नेतृत्व करना एक नए तरह के कौशल की मांग करेगा। नरेंद्र मोदी ऐसे कौशल के लिए नहीं जाने जाते। उनकी पहचान आदेशात्मक अंदाज में शासन करने वाले नेता की रही है।

इसीलिए एनडीए को बहुमत मिलने और भाजपा के सबसे बड़े दल के रूप में उभरने के बावजूद मोदी-शाह की जोड़ी के लिए पहले की तरह राज करना आसान नहीं होगा। अत: कहा जा सकता है कि 2024 के जनादेश से देश के राजनीतिक गतिशास्त्र में भारी बदलाव आ सकता है। इस चुनाव ने इस धारणा को तोड़ दिया है कि आरएसएस के एजेंडे और मोनोपॉली कॉरपोरेट के साथ उसके गठजोड़ ने भारतीय राजसत्ता पर अपना अटूट शिकंजा कस लिया है।

नरेंद्र मोदी इसी शिकंजे का प्रतीक समझे जा रहे थे। इस शिकंजे में प्रधानमंत्री का भरोसा इतना गहरा था कि जन-कल्याण के एजेंडे को वे ‘रेवड़ी’ बताने लगे। इसकी कीमत उनकी पार्टी को चुकानी पड़ी है। नतीजतन, मोदी अब अपने पुराने अंदाज में राज नहीं कर पाएंगे। वे किस अंदाज में शासन करते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा। अब उन्हें हमेशा यह याद रखना होगा कि बहुमत गंवाने की तलवार उनके सिर पर लटकी हुई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top