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किसान आंदोलन से प्रभावित हुई ट्रेने, दो घंटे का सफर पांच से छह घंटे में हो रहा पूरा 

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अंबाला। लंबी दूरी की रोजाना चलने वाली ट्रेनों की जानकारी तो देर-सवेर यात्रियों तक तो पहुंच रही है, लेकिन स्पेशल ट्रेनों की जानकारी खुद सहयोग केंद्र पर बैठे कर्मचारियों को नहीं है कि वो कब आएगी और बीच रास्ते कहां खड़ी हैं। दरअसल रेलवे ने ग्रीष्मकालीन अवकाश को देखते हुए स्पेशल ट्रेनों के संचालन की योजना तैयार की थी, जिससे कि भीड़भाड़ वाले रेल मार्गाें पर सफर करने वाले यात्रियों को राहत मिल सके, लेकिन रेलवे की इस योजना पर किसान आंदोलन ने पानी फेर दिया है।

ट्रेनों के संचालन की तारीख निर्धारित होने के बाद भी यह ट्रेनें पटरी पर नहीं उतर पाई हैं। इसमें ट्रेन नंबर 04553/54 सहारनपुर-अंबाला-सहारनपुर, 09097/98 बांद्रा-कटरा-बांद्रा, 04623/24 वाराणसी-कटरा-वाराणसी, 04517/18 गोरखपुर-चंडीगढ़-गोरखपुर स्पेशल ट्रेनें शामिल हैं। वहीं अन्य ट्रेनों 05005/06 गोरखपुर-अमृतसर को बदले मार्ग से, 04681/82 कोलकाता-जम्मूतवी-कोलकाता, 05049/50 छपरा-अमृतसर-छपरा को चंडीगढ़-साहनेवाल के रास्ते और 04529/30 वाराणसी-बठिंडा-वाराणसी और ट्रेन नंबर 04075/76 नई दिल्ली-कटरा-नई दिल्ली को धूरी-जाखल के रास्ते गंतव्य स्टेशन तक भेजा जा रहा है।

मौजूदा समय में चंडीगढ़ के रास्ते साहनेवाल होकर गंतव्य तक जाने वाली ट्रेनें घंटों देरी से चल रही हैं। अंबाला कैंट से लुधियाना तक दो घंटे का सफर पांच से छह घंटे में पूरा हो रहा है। इसी रेल मार्ग पर मालगाड़ियों के संचालन से यह हालात बने हुए हैं। रेलवे की कोशिश है कि यात्री देर-सवेर अपने गंतव्य तक पहुंच जाएं और इससे मालगाड़ियों द्वारा भेजी जा रही जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति भी ठप न हो। ऐसे में अगर यात्रियों को कुछ घंटों का अतिरिक्त सफर करना भी पड़े तो वो सही है क्योंकि देरी से चलने वाली ट्रेनों को रेलवे रद्द करने के मूड में नहीं है, इससे राजस्व की हानि होगी और यात्रियों को टिकट का रिफंड देना पड़ेगा।

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