Breaking News
कांतारा: चैप्टर 1 की रिलीज डेट आउट, 2 अक्टूबर 2025 को सिनेमाघरों में दस्तक देगी फिल्म
अनियंत्रित होकर बसों से टकराया डस्ट से भरा ट्राला, वाहनों में लगी आग, तीन बसें जलकर हुई खाक
सीएम नायब सैनी ने देखी ‘द साबरमती रिपोर्ट‘, फिल्म को हरियाणा में किया टैक्स फ्री
सर्दियों में टूटने लगे हैं बाल तो इस चीज से करें मालिश, नहीं होगा नुकसान
केदारनाथ विधानसभा के प्रत्याशियों की तकदीर ईवीएम में हुई कैद
दूरस्थ क्षेत्र पैठाणी में होगा उच्च शिक्षा को लेकर महामंथन
पाकिस्तान की हिमाकत पर कोई हैरानी नहीं
दिल्ली के लिए उत्तराखंड से 310 बसों का होगा संचालन, 194 पर लगा प्रतिबंद
बागी 4 से टाइगर श्रॉफ का खूंखार फर्स्ट लुक आउट, रिलीज डेट भी अनाउंस

कश्मीर का अगला मुख्यमंत्री कौन?

अजय दीक्षित
कश्मीर फिलहाल केन्द्र शासित प्रदेश है । देश में इस समय आठ केन्द्र शासित प्रदेश हैं –दिल्ली, चण्डीगढ़, लक्षद्वीप, अण्डमान निकोबार, पांडिचेरी, कश्मीर- जम्मू, लद्दाख और दमन दीप । पहले दमन दीप और दो फ्रेंच कॉलानी अलग-अलग थीं । अब उन्हें मिलाकर एक ही केन्द्र शासित प्रदेश बना दिया गया है । फिलहाल इन आठ केन्द्र शासित प्रदेशों में दिल्ली और पांडिचेरी में विधानसभाएं हैं । परन्तु वह उपराज्यपाल को ही सारे अधिकार निहित हैं । दिल्ली की खबरें तो रोज अखबारों की सुर्खियां बनती हैं । जब किरण बेदी पांडिचेरी में उपराज्यपाल थीं तो पांडिचेरी की खबरें भी खूब आती थीं । वहां किरण बेदी समानांतर सरकार चला रही थीं । हार कर केन्द्र को किरण बेदी को हटाना पड़ा । आजकल वे एक तरह से राजनीति से सन्यास लिए हुए हैं । दिल्ली में अरविन्द केजरीवाल और उपराज्यपाल के बीच विवाद चलता रहता है । दिल्ली सरकार के अफसरों पर मुख्यमंत्री का कंट्रोल नहीं है, उपराज्यपाल का है । जब सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को यह अधिकार दिया तो केन्द्र सरकार तत्काल अध्यादेश लाकर यह अधिकार उपराज्यपाल को सौंप दिया । एक तरह से केन्द्र का गृह मंत्रालय ही दिल्ली सरकार है । लोग पूछते हैं कि यदि दिल्ली में सरकार उपराज्यपाल है तो शराब नीति को कैसे लागू किया गया जिसमें कमीशन खोरी के आरोप में केजरीवाल जेल में हैं ।

5 अगस्त 2019 को प्रधानमंत्री ने 10:30 अपने निवास पर केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई और उसमें कश्मीर में धारा 370 व 35्र को समाप्त करना तय किया गया । किसी भी मंत्री को प्रेस से बात करने के लिए मना कर दिया गया । सीधे उन्हें संसद भवन में ले जाया गया और बहुमत से यह प्रस्ताव पारित हो गया ।

पिछले पांच साल से वहां उपराज्यपाल का शासन है । कश्मीर अभी भी फौज के सहारे चल रहा है । प्रतिदिन पाकिस्तानी घुसपैठिए कश्मीर में उपद्रव करते रहते हैं ।

भारतीय जनता पार्टी अभी कश्मीर में चुनाव के पक्ष में नहीं थी । अभी भाजपा की अपनी स्थिति कश्मीर में मजबूत नहीं है । परन्तु सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि 30 सितम्बर तक कश्मीर में चुनाव करा दिये जायें तो अब वहां चुनाव आयोग ने चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है ।

भाजपा नेशनल कान्फ्रेंस के खिलाफ है । उनके घोषणा पत्र के बहुत से मुद्दों पर गृह मंत्रालय को ऐतराज है । कांग्रेस और नेशनल कान्फ्रेंस के गठजोड़ पर भी अमित शाह सवाल उठा रहे हैं । परन्तु विपक्ष कहता है कि जब फारूक अब्दुल्ला कश्मीर के मुख्यमंत्री थे तो उनके पुत्र उमर अब्दुल्ला अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में विदेश राज्य मंत्री थे । विदेश मंत्रालय बहुत अहम मंत्रालय होता है । यूं भाजपा मेहबूबा मुफ्ती के साथ मिलकर कश्मीर में सरकार बना चुकी है । वह दो बार भाजपा का उपमुख्यमंत्री रहा है । पहली बार मुफ्ती मोहम्मद सईद की सरकार में और फिर मुफ्ती की बेटी मेहबूबा मुफ्ती की सरकार में ।

परन्तु भाजपा अपने दम पर वहां सरकार नहीं बना सकती । गुलाम नबी आजाद को लुभाने की बहुत कोशिश भाजपा ने की भी । राज्यसभा से उनके रिटायरमेंट के समय प्रधानमंत्री मोदी ने उनकी तारीफ के पुल बांध दिये थे । कहा कि गुलाम नबी आजाद रो रहे थे जब गुजरात के कुछ पर्यटकों को आतंकवादियों ने भून दिया था । तब नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे । गुलाम नबी आजाद को पद्म पुरस्कार से भी नवाजा गया ।

10 साल पहले हुए चुनाव में भाजपा ने 25 सीटें जीती थीं । इस बार क्या होता है, देखना है । वैसे कश्मीर में भाजपा का कोई बड़ा जनाधार नहीं हैं । केवल जम्मू में सीटें जीत सकती हैं । लोग यह भी प्रश्न उठा रहे हैं कि लद्दाख में चुनाव क्यों नहीं हो रहे हैं? अभी कश्मीर में लेफ्टिनेंट गवर्नर को और ज्यादा पावर दे दी गई है । तो वहां सरकार का हाल क्या दिल्ली जैसा होना है ? देखें आगे क्या होता है? अच्छा ही होना चाहिए । यही देश हित में है ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top