चंडीगढ़। चुनाव आयोग में पंजीकृत हरियाणा के 10 अमान्यता प्राप्त दल लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। चुनाव आयोग ने लंबे समय से निष्क्रिय इन राजनीतिक पार्टियों का रजिस्ट्रेशन रद कर दिया है। अमान्यता प्राप्त पंजीकृत दलों की सूची में पूर्व गृह एंव स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज की विकास परिषद के साथ ही अखिल भारतीय आजाद लोकहित कांग्रेस पार्टी, ऑल इंडिया रक्षा पार्टी, हरियाणा जनता पार्टी, हरियाणा सामाजिक न्याय पार्टी, मातृ भक्त पार्टी, निस्वार्थ सेवा पार्टी, राजदल हरियाणा, राष्ट्रीय जनहित पार्टी और सामाजिक एकता पार्टी शामिल है।
हालांकि इन सभी दलों का प्रदेश की राजनीति में कोई प्रभाव नहीं है। वर्ष 1995 में भाजपा छोड़ने के बाद अनिल विज ने चुनाव आयोग ने विकास परिषद का रजिस्ट्रेशन कराया था। उसके बाद विज की फिर भाजपा में वापसी हो गई और विकास परिषद सिर्फ कागजों में सिमटकर रह गई। अब इसका नाम निष्क्रिय दलों की सूची में शामिल कर लिया गया है। खास बात यह कि केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत की पार्टी हरियाणा इंसाफ कांग्रेस अभी भी सक्रिय दलों में शामिल है। चुनाव आयोग द्वारा भेजे गए नोटिसों का जवाब तक नहीं देने पर जिन दलों का रजिस्ट्रेशन रद किया गया है, उन्हें कोई चुनाव चिह्न अलाट नहीं किया जाएगा। पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल ऐसे दल होते हैं। जो राज्यस्तरीय दल बनने के लिए विधानसभा या आम चुनावों में पर्याप्त प्रतिशत वोट हासिल नहीं कर पाते हैं। इसके अलावा वे दल भी इनमें शामिल हैं जिन्होंने पंजीकृत होने के बाद से कभी चुनाव नहीं लड़ा है। ऐसे दलों को मान्यता प्राप्त दलों को दी गई सुविधाओं का लाभ नहीं मिलता है।
रजिस्ट्रेशन के छह साल के भीतर चुनाव लड़ना जरूरी नियमानुसार चुनाव आयोग में रजिस्ट्रेशन के छह साल के भीतर राजनीतिक पार्टी को चुनाव लड़ना जरूरी होता है। प्रदेश में बड़ी संख्या में गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल चुनाव आयोग में पंजीकृत हैं जिन्हें राजनेताओं ने निजी स्वार्थों की पूर्ति के लिए केवल कागजों में बनाया हुआ है। धरातल पर इनका कोई अस्तित्व नहीं है। सबसे ज्यादा गुरुग्राम में 23, फरीदाबाद में 13, सोनीपत और रोहतक में नौ-नौ, पानीपत में आठ, झज्जर, भिवानी, रेवाड़ी व करनाल में पांच-पांच तथा अंबाला, कुरुक्षेत्र और हिसार में चार-चार अमान्यता प्राप्त दल पंजीकृत हैं।